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कोरबा। ट्रेनी आईएफएस व पसरखेत रेंजर तुगलकी फरमान ने तीन परिवार को मुसीबत में डाल दिया है। उन्होंने तमाम नियम कायदों को ताक पर रख दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया। यह सजा कर्मचारियों को सिर्फ इसलिए दी गई कि वे संगठन के आव्हान पर नियमितिकरण की मांग को लेकर आंदोलन में शामिल हो गए। दुखद पहलू तो यह है कि दो कर्मचारियों ने अपनी बर्खास्तगी का दंश सह लिया, लेकिन जीवन के 32 साल विभाग को देने वाला एक कर्मचारी सदमा बर्दाश्त नही कर सका। उसे सदमें में अटैक आने पर निजी अस्पताल दाखिल कराया गया है।
प्रदेश में छत्तीसगढ़ दैनिक वेतनभोगी वन कर्मचारी संघ व फेडरेशन के आव्हान पर नियमितिकरण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल किया जा रहा है। इसके लिए संगठन के पदाधिकारियो ने विभाग प्रमुखों से बकायदा विधिवत अनुमति लिया है। संगठन की ओर से आंदोलन में शामिल कर्मचारियों की सूची भी विभाग को उपलब्ध कराई गई है। इस सूची में कोरबा वनमंडल के पसरखेत रेंज में पदस्थ कम्प्युटर आॅपरेटर यशवंत कुमार, वाहन चालक महत्तम सिंह कंवर और रात्री सुरक्षा चौकीदार रामखिलावन निर्मलकर का नाम भी शामिल हैं। वे तीनों अन्यस कर्मचारियों की तरह आंदोलन में शामिल थे। उन्हें अपने हक की लड़ाई के लिए संगठन का साथ देना महंगा पड़ गया। पसरखेत रेंजर की कमान जून 2024 से ट्रेनी आईएफएस (भारतीय वन सेवा) चंद्रकुमार अग्रवाल संभाल रहे हैं। रेंज का प्रभार संभालते ही चर्चा में आने वाले आईएफएस अफसर अपने तुगलकी फरमान के कारण एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। दरअसल प्रशिक्षु अधिकारी ने तमाम नियम कायदों को दरकिनार कर आंदोलन में शामिल होने वाले तीनों कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया है। 21 अगस्त को हस्तलिखित आदेश के माध्यम से कार्रवाई की सूचना वनमंडलाधिकारी और उप वनमंडलाधिकारी को भी दी गई है। अपनी नौकरी के हाथ से जाने का दुख तो कम्प्युटर आॅपरेटर और वाहन चालक ने किसी तरह सहन कर लिया, लेकिन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में वर्ष 1992 से सेवा देते आ रहे रामखिलावन निर्मलकर सदमा बर्दाश्त नही कर सके। आंदोलन के दौरान पहले से मामूली रूप से बीमार चल रहा था इसी दौरान नौकरी से बर्खास्त करने की सूचना मिलने से श्री निर्मलकर को सदमें कारण पैरालिसिस अटैक आ गया। उन्हें आनन फानन इलाज के लिए कोसाबाड़ी स्थित निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां उनका उपचार जारी है। विडंबना तो यह है कि कार्रवाई से अंजान पुत्र पिता के बीमार होने की सूचना देने रेस्ट हाउस पहुंचा तो अफसर ने साफतौर पर कर्मचारी को बाहर निकालने का जवाब देते हुए बैरंग लौटा दिया। बहरहाल घटना के बाद से परिजनों के अलावा संगठन के पदाधिकारियों मे आक्रोश व्याप्त है।
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स्वतंत्रता दिवस के दिन कराया काम
प्रशिक्षु आईएफएस व रेंजर ने रामखिलावन निर्मलकर के नाम बर्खास्तगी आदेश जारी किया है। जिसमें 9 अगस्त से बिना सूचना अनुपस्थित रहने के अलावा बार बार मौखिक और दूर संचार से दिए गए निर्देश का पालन नही करने को कारण बताया गया है। सूत्रों की मानें तो रात्री सुरक्षा चौकीदार श्री निर्मलकर से 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के लिए रेंज कार्यालय में काम कराया गया। संगठन के आपत्ती जताने पर चौकीदार पुन: आंदोलन में शामिल हुआ था।
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नौ माह से नही मिला वेतन, इलाज हुआ मुश्किल
कोरबा व कटघोरा वनमंडल में करीब ढाई सौ दैनिक वेतन भोगी कार्यरत हैं, जो पूरी निष्ठा और इमानदारी से निर्वहन करते हैं। इसके एवज में उन्हें बेहद कम वेतन मिलता है। इस वेतन के लिए भी कई माह इंतजार करना पड़ता है। बताया जा रहा है कि बर्खास्तगी का दंश झेलने वाले तीनों कर्मचारी को बीते नौ माह से वेतन नही मिला। ऐसे में सदमें के कारण बीमार कर्मचारी का उपचार कराना परिवार के लिए मुश्किल हो रहा है।
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क्या है बर्खास्तगी के नियम
जानकारों की मानेंं तो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त करने के लिए नियम कायदे निर्धारित है। नियमानुसार किसी भी कर्मचारी को नौकरी से बाहर करने से पहले नोटिस जारी की जाती है। यदि नोटिस का जवाब संतोषजनक न हो अथवा गलत जानकारी दी जाती है, तो प्रतिवेदन तैयार कर उच्च अधिकारी को दिया जाना था। खास तो यह है कि प्रशिक्षु अधिकारी को सीधे तौर पर बर्खास्तगी की कार्रवाई का अधिकार ही नही है।
वर्जन
हमें कर्मचारियों के बर्खास्तगी संबंधी पत्र प्राप्त नही हुआ है। यदि पत्र मिलता है, तो उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी।
सूर्यकांत सोनी, उप वनमंडलाधिकारी (दक्षिण),कोरबा।
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वर्जन
नियमितिकरण की मांग को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। आंदोलन मे जाने से पहले विधिवत सूचना दी गई है। हमारे साथियों को जबरिया काम पर बुलाया जा रहा है। प्रशिक्षु अधिकारी ने गलत तरीके से कार्रवाई की है, जो गलत है।
कांशी राम ध्रुव, जिलाध्यक्ष, दैनिक वेतन भोगी
वन कर्मचारी संघ