views
कोरबा-रजगामार। होली खेलने के लिए रजगामार गए कोयला कारोबारी अनिल यादव की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस ने अंतत: हत्या का अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। इलाके के अर्पित अग्रवाल जो कि महादेव सट्टा के मामले में पूर्व में आरोपी बन चुका है, उसके विरुद्ध नामजद अपराध दर्ज कर अग्रिम कार्रवाई प्रारंभ की गई है। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने इस घटनाक्रम को गंभीरता से लिया था। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज का बारीकी से अध्ययन किया और पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने उपरांत एसपी के निर्देश पर यह कार्रवाई हुई है।
चौकी रजगामार थाना बालको नगर में मर्ग क्रमांक 34/2025 धारा 194 बीएनएस कायम कर जॉच किया गया। जांच पर गवाहों के कथन व सीसीटीवी फुटेज के अवलोकन से पता चला कि मृतक अनिल यादव, निवासी हाउसिंग बोर्ड कालोनी, खरमोरा घटना दिनांक 14 मार्च 2025 की शाम को होली खेलने रजगामार गया हुआ था और लौटते वक्त प्रेम नगर में किसी बात को लेकर अर्पित अग्रवाल से विवाद हुआ। तब अर्पित अग्रवाल एवं उसके दोस्तो के द्वारा अनिल यादव से मारपीट की गई जिससे वह वहीं पर बेहोश हो गया था। अर्पित के दोस्तों ने उसे उठाकर गली के किनारे रखकर पानी डाले थे और उसे इलाज के लिये अस्पताल नहीं ले गये थे, वहीं छोड़कर भाग गये थे। कुछ समय पश्चात पुलिस पेट्रोलिंग पार्टी को सूचना मिलने पर विनोद वर्मा की सहायता से पुलिस पेट्रोलिंग गाड़ी में ही बेहोश अनिल यादव को इलाज हेतु जिला अस्पताल लेकर गये जहां डॉक्टर द्वारा चेक कर मृत घोषित कर दिया गया। मर्ग कायम कर शव पंचनामा कार्यवाही बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया जिसकी रिपोर्ट में मृतक को आई चोट की प्रवृत्ति Antimortem व ठोस
वस्तु से आना व acute Myocardial infaction in a case of pre-existing coronary after disease and its consequences a natural cause. Nature of injury Antemortem Nature of force Hard, Blunt, Trauma/Force/ Surface Impect की राय दिये। मर्ग जांच पर गवाहों के कथन, घटनास्थल का निरीक्षण, प्राप्त पोस्टमार्टम रिपोर्ट, प्राप्त सीसीटीवी फुटेज के अवलोकन से मृतक अनिल यादव की मृत्यु घटना दिनांक को अर्पित अग्रवाल एवं उसके दोस्तों के द्वारा मारपीट करने के कारण से हृदयाघात से होना पाया गया है। चौकी प्रभारी द्वारा जांच पर आरोपीगणों के विरूद्ध अपराध धारा 103 (1) 3(5) बीएनएस का अपराध घटित करना पाये जाने से पृथक से अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।
गौरतलब है कि इस मामले में लीपापोती करने की कोशिश जारी थी लेकिन पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी की पैनी नजर के कारण किसी भी तरह से कोई भी घालमेल इस मामले में संभव नहीं हो सकी और अनिल यादव के हत्यारों के गिरेबान तक हाथ पहुंच ही गए।
