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कोरबा निगम में सभापति का चुनाव संपन्न हो गया लेकिन इस चुनाव ने काफी सवाल छोड़ते हुए भाजपा संगठन में जिला से लेकर राजधानी तक खलबली मचा दी है। पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को भाजपा के ही पार्षद ने शिकस्त दी है। 45 पार्षदों का बड़ा बहुमत होने के बाद भी अधिकृत प्रत्याशी हार गए। नूतन सिंह ठाकुर 33 वोट हासिल कर सभापति चुन लिए गए।
अब यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि संगठन का अगला कदम क्या होगा? अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव में भाग लेने पर क्या नूतन सिंह ठाकुर पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी या फिर उन्हें पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया जाएगा? 45 पार्षदों में से कौन-कौन निर्णय के खिलाफ गया, क्या इसका चिन्हांकन होगा किन्तु,कब और कैसे? क्या इस घटनक्रम के लिए पर्यवेक्षक से लेकर जिला संगठन पर कोई जवाबदेही तय कर कार्रवाई की जाएगी या कुछ और हो सकता है..?
0 यहां 440 नहीं,880 वॉट का झटका लगता है….
ऊर्जा की नगरी कोरबा में सभापति चुनाव के पर्यवेक्षक रायपुर विधायक जिन्हें विशेष तौर पर सभापति बनाने के लिए आपसी सहमति स्थापित करने हेतु भेजा गया था, उन्हें भी जोर का झटका लगा है। सभापति चुनाव की प्रक्रिया के दौरान वे स्वयं साकेत में मौजूद रहे। यहां भाजपा नेताओं की आपसी चर्चा के दौरान हास-परिहास में यह तक कह दिया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ का इस तरह का पहला चुनाव देखा जहां अधिकृत प्रत्याशी को इस तरह से हालात का सामना करना पड़ा। इस पर चुटकी लेते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यहां कुछ ऐसा ही चलता है,कोरबा में 440 नहीं बल्कि 880 वॉट का झटका लगता है।
0 समय मिला, फिर भी समन्वय नहीं बना सके
सभापति चुनाव से पहले पर्यवेक्षक पुरंदर मिश्रा, जिला अध्यक्ष मनोज शर्मा सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में 45 भाजपा पार्षदों की बैठक ली गई। बंद कमरे में हुई बैठक में सभी के मोबाइल भी बंद क करा दिए गए। करीब आधे घंटे तक मंथन के बाद एक लिफाफा ला कर खोला गया और बताया गया कि प्रदेश संगठन ने हितानंद अग्रवाल को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है इसलिए उन्हें सभापति चुना जाना है। इसके बाद सभी बैठक कक्ष से बाहर निकले और नामांकन भरने की समय सीमा खत्म होने से चंद मिनट पहले ही हितानंद के साथ-साथ भाजपा के वार्ड 6 पुरानी बस्ती से पार्षद नूतन सिंह ठाकुर ने भी अपना नामांकन दाखिल कर दिया। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से उपस्थित लोग अवाक रहे। इसके पश्चात नाम वापसी के लिए करीब आधे घंटे का समय शेष था लेकिन इस शेष समय में भी जिला संगठन इन दोनों दावेदारों के बीच कोई समन्वय स्थापित नहीं कराया जा सका और कोई समाधान निकालने में रुचि नहीं दिखाई गई। परिणाम स्वरूप भाजपा से दोनों दावेदार मैदान में रहे और एक ने जीत हासिल कर अधिकृत प्रत्याशी को हरा दिया।
0 भाजपा का हूं और भाजपा का रहूंगा: नूतन
चुनाव जीतने के बाद सभापति नूतन सिंह ठाकुर ने मीडिया से चर्चा में कहा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी से पार्षद चुनाव की टिकट मिली थी और अच्छे वोटो से जीत हासिल किए। सभापति के लिए भी उन्होंने भाजपा पार्षद के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया और पार्षदों ने उन पर अपना भरोसा जताया। नूतन सिंह ने इसके लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह पहले भी भाजपा के थे, अभी भी भाजपा के हैं और आगे भी भाजपा के ही रहेंगे।
दूसरी तरफ पूर्व नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने कहा कि पार्टी संगठन की ओर से उन्हें अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया था और संगठन के निर्देश पर ही उन्होंने अपना नामांकन सभापति के लिए जमा किया। अब जो भी निर्णय लेना है, वह संगठन को लेना है। हमें संगठन के निर्देश का पालन करते हुए काम करना है।
