Vijay Dubey (Editor in Chief)
+91-9165012144
Abhishekk Singh Anant (Reporter)
Contact for News & Advertisements
menu
AWESOME! NICE LOVED LOL FUNNY FAIL! OMG! EW!
कोरबा महापौर चुनाव के पहले मतदाता थे साइलेंट मोड़ में,, मतदान के बाद अब प्रत्याशियों में पसरा है सन्नाटा,,, ,,मतदान का गिरा ग्राफ तूफान के पहले की शांति तो नहीं...
दिन का चेन और रात की नींद है गायब

कोरबा : नगरीय निकाय के चुनाव में मतदान के प्रतिशत के पिछले 15 साल के आंकड़ो में नजर डालें तो वर्ष 2009 में कोरबा नगर पालिका निगम के वार्डों में 60.98 प्रतिशत मतदान हुआ। पांच साल बाद वर्ष 2014 में आंकड़ा बढ़ कर 69.13 प्रतिशत जा पहुंचा। तब कांग्रेस से रेणु अग्रवाल व भाजपा से हरिकांति दुबे मैदान में थे। उस वक्त भी कोरबा सीट महिला सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किया गया। उसके बाद हुए दो चुनाव में लगातार मतदान प्रतिशत का गिरता जा रहा। वर्ष 2019 में 65.75 प्रतिशत रहा, जो उसके पहले के चुनाव के मुकाबले 3.37 प्रतिशत कम रहा। अभी हुए वर्ष 2025 के चुनाव में मतदान का प्रतिशत गिर कर 61.26 पहुंच गया, यह गिरावट पिछले बार से 3.33 प्रतिशत रहा। यानी 10 साल में 6.70 प्रतिशत मतदान घट गया।

 

इस बार महापौर पद के लिए चुनाव मैदान में भाजपा प्रत्याशी संजू देवी राजपूत, कांग्रेस प्रत्याशी उषा तिवारी सहित 11 उम्मीदवार हैं। मतदान का प्रतिशत कम होने की वजह से भाजपा कांग्रेस खेमे में टेंशन बढ़ गई हैं।बता दे की नगर निगम कोरबा क्षेत्र में 2,67,103 मतदाता हैं। इस बार चुनाव में 82,306 पुरूष एवं 81,377 महिला मतदाताओं ने मतदान किया। इस तरह कुल 1,63,684 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। शहर के अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र के निकाय क्षेत्र के मतदाताओं में अधिक रूझान देखा गया। अगर पिछले 15 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह परंपरा बनती जा रही, हर बार पंचायत और पालिका परिषद क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा मतदाता घर से निकल कर पोलिंग बूथ तक पहुंच रहे। चिंता का विषय यह है कि प्रशासन हर बार जनजागरुकता के लिए खर्च किए जाने वाले बजट में वृद्धि कर रही। स्कूल व कालेजों के साथ रिहायशी व ग्रामीण क्षेत्रों में भी विभिन्न माध्यम से मतदान के लिए जागरूकता का अभियान चलाती है। इस कवायद का उस तरह असर नहीं दिख पा रहा, जैसी अपेक्षा है। कम मतदान के भी अपने- अपने मायने निकाले जा रहे, कोई राजनीतिक दल अपने लिए फायदेमंद मान रहा, तो कोई इससे नुकसान होने की बात कह रहा। वर्ष 2014 के चुनाव में सीधे नौ प्रतिशत मतदान का ग्राफ बढ़ा था, तब कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।

 

ये भी प्रमुख कारण

 

वार्ड परिसीमन की वजह से मतदान स्थल बदल गए। कई ऐसे मतदाता भी नजर आए, जो यहां वहां भटकते रहे और अंतत: मतदान किए बगैर उन्हें वापस लौटना पड़ा। कई लोगों कोे नाम ही मतदाता सूची से हटा दिए गए थे। ऐसे लोगों के भी नाम मतदाता सूची में है, जो लंबे समय से कोरबा में नहीं रह रहे। 10 साल पहले जिन लोगों का निधन हो चुका है।उनका नाम भी सूची में दर्ज है। सत्यापन कार्य नहीं होने की वजह से सूची प्रभावित हो रही।

 

केवल एक थर्ड जेंडर ने डाला वोट

 

थर्ड जेंडर (किन्नर) समाज से सीतामढ़ी में रहने वाली दिनेश मालती किन्नर महापौर प्रत्याशी के रूप में मैदान में है। मालती ने कांग्रेस से टिकट की दावेदारी की थी। टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ीं। नगर निगम क्षेत्र के मतदाता सूची में 23 थर्ड जेंडर हैं। मतदान के बाद महिला, पुरूष व थर्ड जेंडर मतदाताओं के आंकड़े सामने आ चुके हैं। थर्ड जेंडर से केवल एक वोट नगर निगम चुनाव के लिए डाला गया है। किन्नर समुदाय से मैदान में उम्मीदवार होने के बावजूद मतदान केंद्रों में थर्ड जेंडर की अनुपस्थिति चर्चा का विषय बना हुआ है।

YOUR REACTION?

Contact us for Website, Software & Android App development : Click Here