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कोरबा। राखड़ परिवहन कर उसके निपटान के लिए करोड़ों का ठेका उठाने वाले ठेकेदार किस कदर निरंकुश हैं, यह इस Video को देखकर जान सकते हैं। अब ये खुलेआम आम लोगों के साथ जिला प्रशासन की आंखों में भी राख झौंकने से गुरेज नहीं करते।
कलेक्टर अजीत वसंत ने साफ चेतावनी दी थी कि राखड़ परिवहन नियम अनुसार किए जाएं। ठेकेदारों की मनमानी जाहिर होने पर कलेक्टर ने अफसरों को भी चेताया था कि नियम विरुद्ध राख परिवहन पर सख्त कार्यवाही की जाए। इसके बाद भी इस में देखा जा सकता है कि कैसे भारी वाहन अपने डाले के पीछे से परिवहन के साथ साथ मुख्य मार्ग पर धडल्ले से राखड़ गिराते फर्राटे भर रहे हैं। कलेक्टर श्री वसंत ने जिले में होने वाले राखड़ परिवहन पर नजर रखने और नियम विरुद्ध राखड़ परिवहन करने पर संबंधित वाहन पर कार्यवाही के निर्देश जारी किए थे। उन्होंने एसडीएम, पर्यावरण अधिकारी, परिवहन अधिकारी को साफ तौर पर निर्देशित किया है कि ऐसी अव्यवस्था नजरंदाज न करें और कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करें। पर शायद करोड़ों के वारे न्यारे कर रहे ठेकेदारों के साथ मातहत अधिकारियों को भी जिलाधीश के आदेशों से कोई सरोकार नहीं रह गया है। यही वजह है जो सड़क पर बेधड़क की जा रही इस मनमानी को आम लोगों और आम राहगीरों की आम परेशानी समझकर उन्हे उनके हाल पर ही छोड़ दिया गया है।लोगों के लिए राखड़ बड़ी समस्या बनी हुई है। जिलेभर में खुले स्थानों पर राखड़ डंप करने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। इससे पर्यावरण तो प्रभावित हो ही रहा है, परिवहनकर्ताओं की मनमानी के चलते आम लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। आगे एक कतार में चार से आठ भारी वाहन दौड़ते देखे जा सकते हैं। ऐसे में डाले से उड़ते राखड न केवल पीछे चल रहे बाइक सवार की आंखों में घुस आते हैं, जानलेवा हादसे का भी डर बना रहता है। कच्चा राखड गिराए जाने से वह सूखने के बाद कई कई दिन तक उड़कर परेशान करता है।4 दिन में डंप कर दी गई 4 माह पहले की गाइड लाइन
राखड़ के बेतरतीब निपटान को लेकर गंभीरता दिखाते हुए कलेक्टर ने जनवरी में कुछ गाइड लाइन जारी किए थे। इनमें निर्धारित स्थान पर राखड़ डंप करने कहा गया। राखड़ परिवहन करने वाली वाहनों में वर्क आर्डर चिपकाने निर्देशित किया गया। यानि जिन वाहनों में राखड़ का परिवहन हो रहा है उनमें संबंधित वर्क आर्डर चस्पा होना चाहिए था। गाइड लाइन का उल्लंघन करने वाले ऐसे ट्रांसपोटर्स के विरुद्ध सख्ती से पेश आते हुए कड़ी कार्यवाही की चेतवानी दी गई थी। इयर चार माह पहले जारी की गई गाइड लाइन चार दिनों में ही डंप कर दी गई और अब ट्रांसपोर्टरों की मनमानी बदस्तूर जारी है।