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गोपाल नारायण सिंह के लिए न्यायालय ने ये कहा ,, और याचिकाकर्ता ने वापस ली
और ये कहा न्यायमूर्ति ने

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) में कार्यरत श्रमिक संगठन इंटक (INTUC) के विरोधी गुटों के बीच चल रहा विवाद समाप्त हो गया, क्योंकि याचिकाकर्ता पी.के. राय (राष्ट्रीय कोयला कामगार संघ) ने अपनी याचिका वापस ले ली।यह मामला 2019 में दायर रिट याचिका से जुड़ा था, जिसमें पी.के. राय ने SECL द्वारा प्रतिद्वंद्वी ट्रेड यूनियन “साउथ ईस्टर्न कोयला मजदूर संघ (SEKMC)”, जिसके अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह हैं, को औद्योगिक संबंधों (IR) में शामिल करने पर आपत्ति जताई थी। उनका तर्क था कि केंद्रीय ट्रेड यूनियन इंटक (INTUC) ने SEKMC को निष्कासित कर दिया था, इसलिए SECL को इस यूनियन के साथ किसी भी औद्योगिक वार्ता में शामिल नहीं होना चाहिए।प्रतिवादी गोपाल नारायण सिंह के वरिष्ठ अधिवक्ता निर्मल शुक्ला ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने SEKMC को पक्षकार नहीं बनाया, बल्कि केवल गोपाल नारायण सिंह को व्यक्तिगत रूप से शामिल किया, जो मात्र यूनियन के एक पदाधिकारी हैं। उन्होंने आगे यह भी दलील दी कि SEKMC केंद्रीय ट्रेड यूनियन से संबद्ध थी और इस यूनियन तथा उद्योग के बीच कई समझौते पहले भी होते रहे हैं।इससे पहले, पूर्व पदाधिकारी संपत शुक्ला और रमेश मिश्रा ने इस मामले में हस्तक्षेपकर्ता (intervener) बनने के लिए आवेदन दायर किया था, लेकिन प्रतिवादियों के विरोध के बाद अदालत ने इसे खारिज कर दिया।आज याचिकाकर्ता के वकील एस.पी. काले ने अपनी रिट याचिका वापस लेने का अनुरोध किया। इस पर न्यायमूर्ति संजय एस. अग्रवाल की अदालत ने मामले को वापस लिए गए (withdrawn) के रूप में खारिज करने का आदेश दिया।इसके साथ ही, इंटक (INTUC) से संबंधित दो श्रमिक संगठनों के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद भी समाप्त हो गया। इस प्रकरण को गोपाल नारायण सिंह के नेतृत्व वाली श्रमिक संगठन SEKMC की जीत के रूप में देखा जा रहा है।


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