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शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा हर वर्ष करोड रुपए खर्च किए जाते हैं, ताकि देश का भविष्य कहे जाने वाले हमारे नव निहालों को अच्छी गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिल सके। बावजूद इसके कुछ ऐसे शिक्षक हैं, जो सरकार की इस मंशा पर पलीता लगाने में लगे हुए हैं। यकीन नहीं है तो आप कोरबा जिले के करुमोहा के शासकीय प्राथमिक शाला चले जाइए, यहां के प्रधान पाठक आनंद तिवारी कुछ उन लोगों में शामिल है, जो सरकार की मंशा पर कालिख पोतने का काम कर रहे हैं वे स्वयं ना तो स्कूल आते हैं और ना ही उनको वहां अध्ययन कर रहे बच्चों के भविष्य की चिंता है यह महोदय इतने रसूखदार हैं कि उनके उच्च अधिकारियों के द्वारा नोटिस दिए जाने के बावजूद भी अपनी कार्यशैली में परिवर्तन नहीं ला रहे हैं इतना सब होने के बाद भी और महीने में सिर्फ 10 या 12 दिन स्कूल आते हैं और हाजिरी लगाकर चले जाते हैं और उनकी तनख्वाह पूरे महीने की बनती है ऐसे में जो साथ में काम कर रहे हैं उन पर क्या असर पड़ता होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है इस प्राथमिक शाला में 86 बच्चे अध्यनरत हैं और यहां शासन के द्वारा तीन शिक्षकों का सेटअप दिया गया है इस सेटअप में सिर्फ एक शिक्षक है जो पूरी ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे हैं वहां पदस्थ महिला शिक्षक भी किसी तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही हैं लेकिन प्रधान पाठक आनंद तिवारी जो अपनी लीला में ही मस्त है उनको इससे कोई मतलब नहीं है की बच्चों की पढ़ाई और पढ़ाई के स्तर पर उनके छुट्टी मारने से कुछ फर्क पड़ रहा होगा ग्रामीणों की माने तो जिला शिक्षा अधिकारी उपाध्याय साहब भी लगातार मिल रही शिकायतों के आधार पर औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे तो उस दिन भी प्रधान पाठक आदरणीय आनंद तिवारी स्कूल में मौजूद नहीं थे, और निरीक्षण के दौरान जो कमियां पाई गई थी उसके लिए नोटिस जारी कर व्यवस्था को सुधारने की बात कही गई थी लेकिन प्रधान पाठक को जो नोटिस जारी की गई थी उसका क्या जवाब आया और उनकी कार्यशैली में क्या परिवर्तन आया यह समझ से परे है अब देखना होगा की सरकार की मंशा कालिख पोत रहे करूमोहा के प्रधान पाठक आनंद तिवारी जैसे शिक्षकों पर शासन द्वारा किस तरह की कार्यवाही की जाती है। इस दौरान जब प्रधान पाठक से सम्पर्क किया गया तब उनका मोबाइल भी बंद बताया जा रहा था।