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कोरबा एसईसीएल अधिकारियों की जानकारी में.... कोल लिफ्टर से हो रही प्रति टन तीस रुपये की वसूली... क्यों नही हो रही कार्यवाही चर्चा में खदान
जो करना है कर लो

कोरबा :- कोयला खदानों में लंबे समय से कोयला खदान में नियम को ताक में रखकर कोयला का कारोबार किया जा रहा है । इस मामले में एसईसीएल के अधिकारियों को जानकारी है उसके बाद भी नियमो का उलंघन करने वालो पर कार्यवाही नहीं हो रही है । इसका मतलब साफ है कि एसईसीएल अधिकारियों की जानकारी में कोल लिफ्टरो से की जा रही प्रति तन तीस रुपये की वसूली ।

 

सूत्रों की माने तो कोयला खदान में कोयला का ऑक्शन होने के बाद कुछ नियमो को पूरा कर व्यक्ति को विभाग खदान में जाने अनुमति प्रदान करता है । जो अपने कोयला का उठाव सही समय मे कर सके इसके लिए उन्हें एक निश्चित समय भी दिया जाता है । जंहा कोयला उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी कोल इस्पेक्टर व अन्य अधिकारियों की होती है । जिसके लिए कोल लिफ्टर को शुल्क अदा करने की जरूरत नही होती। 

 

लेकिन कोयला खदान में ये देखा जा रहा है कि कोयला उठाने वाले अधिकृत व्यक्ति से कोयले के प्रति टन शुल्क मांगा जा रहा है । शुल्क नही देने पर उन्हें कोयला उपलब्ध कराने में आनाकानी की जा रही है । इस तरह खदान के नियमो को पूरी तरह से ताक में रखकर कोयला का कारोबार किया जा रहा है । इस मामले में अधिकृत अधिकारी को विभाग ने नियुक्त किया है । 

 

पर अधिकृत अधिकारी अपनी ऊपरी कमाई के लिए नियमो का उलंघन करने से बाज नहीं आ रहे है । इस मामले में जानकारी होने के बाद भी विभाग के उच्चाधिकारी कार्यवाही करने की बजाए। अपने विभाग के अधिकरी को बचाने के लिए मामले में जांच का खेल खेलते है । लेकिन कोई कार्यवाही नही की जाती इसका कारण सिर्फ यही है कि कोयला से कमाई गईं राशि का हिस्सा सभी के जेब मे जाती है । 

 

लेकिन कोल लिफ्टर अपनी ही कमाई का हिस्सा देने के कारण कोल लिफ्टिंग के कार्य मे घाटे का सौदा करने को मजबूर हो रहे है ।जानकारी के अनुसार कोयले का डीओ कोल लिफ्टर एक निश्चित राशि तय कर के लाते है । जिसमे कोयला गिरवाने से लेकर उसको लोडिंग करवाने तक के लिए राशि खर्च करते है । उसमें एसईसीएल के अधिकारी अपना डिमांड अगल से कर रहे है ।

 

उनकी डिमांड इतना बढ़ गया है कि कोल लिफ्टर उस डिमांड को पूरा करने में असमर्थ है ऐसे में कोल लिफ्टर कोयला उठाने से पहले सोच में पड़ गए है कि कोयला उठाये की नही कोयला का उठाव करते है तो उनको प्रति टन तीस रुपये उक्त अधिकारी की जेब मे डालना होगा जो अब कोल लिफ्टेरो के लिए सम्भव नही है । ऐसे में विभाग के उक्त अधिकारियों की शिकायत उच्च स्तर पर करने की बाते सामने आ रही है ।

 

उच्चाधिकारियों तक इसकी शिकायत जाती है तो कुसमुंडा के खदान में काफी अधिकारी नप सकते है । अब ऐसे में देखना होगा कि उक्त अधिकारी अपने प्रति टन की उगाही को छोड़कर कोल लिफ्टेरो की समस्या को दूर करते है या फिर उनकी उगाही का कारोबार चलता रहेगा ।

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