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ये कोरबा है साहब यहाँ तो कोयला चोरी की गंगा बरसो से बह रही है...फिर करोड़ों का कोयला घोटाला, पुलिस ने पकड़ी ‘टेलीकॉम ट्रकों’ की चोरी की चेन
एसईसीएल की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से संदेह के दायरे में

कोरबा जिले की कुसमुंडा, दीपका और गेवरा खदानों से प्रतिदिन लगभग 3,000 टन कोयले की अवैध बिक्री हो रही है — यह कोई अफवाह नहीं, बल्कि अब जांच एजेंसियों और जिला पुलिस की कार्रवाई में सामने आए तथ्य हैं।

 

कुसमुंडा कोयला खदान से जुड़े एक बड़े चोरी नेटवर्क का पर्दाफाश तब हुआ जब पुलिस ने चार टेलीकॉम ट्रकों को जब्त किया, जिनमें से प्रत्येक ट्रक में 84 टन से अधिक कोयला अवैध रूप से लोड किया गया था। इन ट्रकों को जानबूझकर खदान से बाहर लाया जाता, जांच के नाम पर चक्कर लगाया जाता, फिर वही ट्रक ‘जांच क्लियर’ के नाम पर फिर से खदान में कोयला लेकर घुसते।

 

इस पूरे रैकेट में ट्रकों के मालिक, डीओ (Delivery Order) होल्डर, खदान के गेट पास जारी करने वाले और सतह निरीक्षक (Surface Supervisor) तक की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

 

▪ “कोयला चोरी की यह गंगा वर्षों से बह रही है”

 

पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह अवैध कारोबार आज की उपज नहीं, बल्कि लंबे समय से चल रहा सुनियोजित घोटाला है। ट्रकों को किस दिन, किस समय और किस रूट से ले जाना है — इसकी पूरी मैपिंग और सेटिंग तैयार रहती है।

 

पुलिस द्वारा जब्त ट्रकों के दस्तावेजों और वजन प्रमाणन प्रक्रिया में भी भारी गड़बड़ी उजागर हुई है। जांच एजेंसियां अब इस बात की भी तस्दीक कर रही हैं कि कैसे टेलीकॉम ट्रकों को फर्जी प्रमाणपत्रों के बल पर क्लीन चिट दी जाती थी।

 

▪ “एसईसीएल की सुरक्षा प्रणाली पर बड़ा सवाल”

 

इस खुलासे के बाद एसईसीएल की खदान सुरक्षा व्यवस्था, वहां नियुक्त सुरक्षा गार्ड, इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीनें, और गेटपास सिस्टम सब कटघरे में हैं। कुसमुंडा थाना पुलिस ने सुरक्षा दस्तावेज, गार्ड रजिस्टर, और खनन प्रबंधन से संबंधित अधिकारियों की जांच भी शुरू कर दी है।

 

▪ “कई गिरफ्तार, मोटरसाइकिल गिरोह भी शक के घेरे में”

 

अब तक पुलिस ने चार टेलीकॉम ट्रकों को जब्त किया, उनके ड्राइवरों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया है। मोटरसाइकिल सवार संदिग्धों को भी हिरासत में लिया गया है जो पूरे नेटवर्क के ‘संदेशवाहक’ के रूप में कार्य कर रहे थे।

 

🛑 कहां रुकेगा यह ‘कोयला माफिया’ का काला खेल?

 

यह मामला केवल चोरी का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में फैले सड़ांध का संकेत है — जहां अधिकारी, ठेकेदार, और कोल परिवहन माफिया की मिलीभगत से हजारों टन कोयला रोज़ाना गायब हो रहा है।

अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और SECL प्रबंधन इस पूरे मामले में कितने दोषियों तक पहुंच पाता है और क्या वास्तव में कोयला माफिया का जड़ से सफाया होगा, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबा दिया जाएगा?

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