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छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर छत्तीसगढ़ कैडर के 2017 बैच के आईएएस अधिकारी कुणाल दुदावत को कलेक्टर कोरबा का प्रभार सौंपा है। कोरबा में कलेक्टरी संभालने से पहले वे दंतेवाड़ा में पदस्थ थे। बता दें कि कुणाल दुदावत उन युवा प्रशासनिक अधिकारियों में शामिल हैं, जिन्होंने नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में रहकर ज़मीनी स्तर पर विकास को नई दिशा दी। कोंडागांव और दंतेवाड़ा जैसे आदिवासी और चुनौतीपूर्ण जिलों में कलेक्टर के रूप में उनका कार्यकाल, प्रशासनिक सुधार और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रदेश में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा।
कुणाल दुदावत जब कोंडागांव के कलेक्टर बनाए गए, तब यह जिला नीति आयोग के Aspirational District Programme में शामिल था। स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और बुनियादी सेवाओं को लेकर जिला लगातार मॉनिटरिंग में रहता था। उनके कार्यकाल में योजनाओं की डोर-स्टेप डिलीवरी,स्वास्थ्य व पोषण संकेतकों पर विशेष फोकस, प्रशासनिक टीमवर्क और डेटा-आधारित मॉनिटरिंग जैसे प्रयासों से जिले के प्रदर्शन में सुधार देखा गया।
इसके बाद दंतेवाड़ा जैसे नक्सल प्रभावित और आकांक्षी जिले की कमान संभालते हुए उन्होंने विकास और विश्वास—दोनों पर काम किया। सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने, युवाओं के कौशल विकास और प्रशासनिक पहुँच बढ़ाने की दिशा में लगातार पहल की गई। दंतेवाड़ा में उनकी कार्यशैली से नीति आयोग का ये आकांक्षी जिला केवल आंकड़ों में नहीं, ज़मीनी हकीकत में विकास की नई इबारत लिखने में कामयाब हुआ।
छत्तीसगढ़ कैडर के 2017 बैच के आईएएस हैं कुणाल दुदावत
कुणाल दुदावत छत्तीसगढ़ कैडर के 2017 बैच के आईएएस है। वे मूलतः राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर के रहने वाले हैं। आईआईटीआई मुंबई से पढ़ाई कर देश व विदेश में मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब किया। फिर यूपीएससी क्रैक कर तीसरे प्रयास में आईएएस बने। वह भारतीय वन सेवा व भारतीय पुलिस सेवा के लिए चयनित हुए थे। आइए जानते हैं उनके बारे में…
जन्म, शिक्षा और परिवार
2017 बैच के आईएएस कुणाल दुदावत राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर के रहने वाले है। उनका जन्म 1 जनवरी 1992 को हुआ था। उनके पिता सरकारी अस्पताल में चिकित्सक थे। कुणाल के परिवार में अधिकतर लोग डॉक्टर हैं। कुणाल की स्कूली शिक्षा सवाई माधोपुर से ही पूरी हुई। कक्षा पहली से लेकर दसवीं तक उन्होंने हिंदी माध्यम से पढ़ाई की। 11वीं, 12वीं में उन्होंने अंग्रेजी माध्यम स्कूल में प्रवेश लिया। अंग्रेजी से हिंदी माध्यम में आने के चलते उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी। भौतिकी, रसायन व गणित विषयों के साथ उन्होंने 12वीं बोर्ड एग्जाम पास किया।
इसके बाद उन्होंने आईआईटी–जेईई निकाल कर मुंबई आईआईटी में कंप्यूटर साइंस ब्रांच में एडमिशन लिया। मात्र 20 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने बीटेक की पढ़ाई पूरी का डिग्री हासिल कर ली। दरअसल कुणाल दुदावत के गृह क्षेत्र में स्कूलिंग में केजी1, केजी2, का कॉन्सेप्ट नहीं था। उन्होंने सीधा क्लास वन में प्रवेश लिया था। इसके चलते उनकी स्कूलिंग व कॉलेज जल्दी पूरी हो गई।
मल्टीनेशनल कंपनी और विदेश में किया जॉब
कुणाल दुदावत ने इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद कनाडा की कंपनी में 5 माह जॉब किया। इसके बाद उन्होंने भारत वापस आकर ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी फ्लिपकार्ट में सॉफ्टवेयर डेवलपर की जॉब की। फिर यूपीएससी की तैयारी के लिए जॉब छोड़कर दिल्ली आ गए। यहां एक फ्लैट में उनके तीन बैचमेट व एक सीनियर रहकर यूपीएससी की तैयारी करते थे।
तीसरे प्रयास में हुआ आईएएस के लिए हुआ आईएएस में चयन
यूपीएससी का पहला अटेम्प्ट कुणाल ने 2014 में सिर्फ 5 से 6 माह की पढ़ाई के बाद दिया। दूसरे प्रयास में उनका चयन यूपीएससी 2015 से आईपीएस के लिए हुआ। इस चयन से पहले ही संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली भारतीय वन सेवा में भी कुणाल का चयन हुआ था। आईपीएस में कुणाल को एजीएमयूटी कैडर मिला था। आईपीएस की ट्रेनिंग करते हुए ही यूपीएससी का तीसरा प्रयास कुणाल ने दिया और 669 वीं रैंक के साथ आईएएस के लिए चुने गए।
शानदार प्रोफेशनल कैरियर
कुणाल ने 11 दिसंबर 2017 को आईएएस की सर्विस ज्वाइन की। फील्ड ट्रेनिंग के लिए उनकी पोस्टिंग बिलासपुर जिले में सहायक कलेक्टर के तौर पर हुई। इसके बाद वे बिलासपुर जिले के ही कोटा अनुविभाग में एसडीएम बने। कोटा के बाद में महासमुंद जिले के सरायपाली अनुविभाग में एसडीएम बने।
उनकी अगली पोस्टिंग कोरिया जिला पंचायत सीईओ के पद पर हुई। यहां उन्होंने पर्यटन की दिशा में काफी काम किया। झुमका डैम को पर्यटन स्थल बनाने व सोनहत के सौंदर्यीकरण में उन्होंने विशेष प्रयास किए। कोरिया के बाद उनकी पोस्टिंग बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर व बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के एमडी के पद पर हुई।
बिलासपुर के विकास के लिए काफी निर्माण के अलावा अरपा रिवर फ्रंट उनकी विशेष उपलब्धियों में से एक है। बिलासपुर कमिश्नर के बाद उनकी कलेक्टरी की पारी प्रारंभ हुई। सबसे पहले वे कोंडागांव कलेक्टर बनाए गए। उसके बाद दंतेवाड़ा और अब कोरबा के कलेक्टर हैं।
