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बस्तर में जहां नक्सलियों के खेत,वहां अब फोर्स का कैंप:कमांडर हिड़मा के गांव को जवानों ने घेरा; वॉररूम की तस्वीर आई सामने
बस्तर में जहां नक्सलियों के खेत,वहां अब फोर्स का कैंप:कमांडर हिड़मा के गांव को जवानों ने घेरा; वॉररूम की तस्वीर आई सामने

बस्तर में जहां नक्सलियों के खेत,वहां अब फोर्स का कैंप:कमांडर हिड़मा के गांव को जवानों ने घेरा; वॉररूम की तस्वीर आई सामने

बीजेपी की सरकार बनते ही बस्तर में नक्सल ऑपरेशन तेज हो गया है। बस्तर के सबसे ज्यादा संवेदनशील गांव पूवर्ती में जवानों ने कैंप स्थापित कर दिया है। खास बात है कि यह गांव नक्सली कमांडर हिड़मा और देवा का है। नक्सलियों के प्रभाव वाले इस गांव को अब जवानों ने 5 लेयर की सुरक्षा में घेर रखा है।

इसी गांव में नक्सलियों के वॉर रूम की पहली तस्वीर भी अब सामने आई है। जहां नक्सली कमांडर हिड़मा समेत दूसरे बड़े कैडर्स के नक्सली हमलों की स्ट्रैटजी बनाते थे। नक्सलियों के इस वॉर रूम को अब STF ने अपने कब्जे में ले लिया है। यहां नक्सली खेती-किसानी और मछली पालन करते थे।

इसी जगह पर नक्सली बैठक कर हमलों की रणनीति बनाते थे।
इसी जगह पर नक्सली बैठक कर हमलों की रणनीति बनाते थे।

सिलसिलेवार जानिए कैसा है पूवर्ती गांव...

सुकमा जिले के जगरगुंडा थाना क्षेत्र में है पूवर्ती गांव

पूवर्ती गांव सुकमा जिले के जगरगुंडा थाना क्षेत्र में आता है। सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर बसे इस गांव तक पहले सिलगेर और फिर टेकलगुड़म होते हुए पहुंचा जा सकता है। सुकमा से इस गांव की दूरी लगभग 120 किलोमीटर है। सिलगेर के बाद आगे पक्की सड़क नहीं है। नक्सलियों के इस गांव तक पहुंचने के लिए पगडंडी सरीखे रास्तों का सफर तय करना होता है।

फोर्स ने गांव को अपने कब्जे में लिया और पहली बार तिरंगा फहराया गया।
फोर्स ने गांव को अपने कब्जे में लिया और पहली बार तिरंगा फहराया गया।

नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा और देवा इसी गांव के हैं

बस्तर में जब भी नक्सलवाद का जिक्र होता है तब एक नाम हर किसी के जहन में आता है, और वह है नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा का नाम। पूवर्ती में हिड़मा का जन्म हुआ, 16 साल की उम्र में संगठन में शामिल हो गया। नक्सलियों की सबसे खतरनाक बटालियन नंबर-1 का चीफ बना। संगठन को कई कामयाबी दिलाई, अब सेंट्रल कमेटी का सदस्य है।

हिड़मा और देवा की फाइल फोटो।
हिड़मा और देवा की फाइल फोटो।

हिड़मा के अलावा बारसे देवा का भी जन्म इसी पूवर्ती गांव में हुआ था। देवा भी बचपन से नक्सली संगठन में चला गया था। पहले दरभा डिवीजन में सक्रिय था, अब हिड़मा की जगह इसे नक्सलियों की बटालियन नंबर-1 का चीफ बनाया गया है। इसके अलावा कुछ और भी बड़े कैडर के नक्सली हैं, जिनका पूवर्ती ही गृह ग्राम है।

पूरे गांव को 5 लेयर की सुरक्षा में घेरा गया है।
पूरे गांव को 5 लेयर की सुरक्षा में घेरा गया है।

ऐसा है नक्सलियों का वॉर रूम

नक्सली पूवर्ती गांव को पुलिस के लिहाज से सबसे सेफ मानते थे। यही वजह थी कि उन्होंने यहां अपना एक वॉर रूम बनाया हुआ है, जो बांस और खपरैल से बना हुआ है। इस वॉर रूम में नक्सली बस्तर में घटनाओं को अंजाम देने के लिए रणनीति बनाते थे। यहां नक्सलियों ने अपने कमांडर्स के नाम भी लिख रखे हैं।

इसी वॉर रूम में स्पीकर, किचन समेत अन्य जरूरत का सामान भी है। यहां बिजली के लिए बाहर सोलर पैनल लगा रखे हैं। अब पहली बार इनके वॉर रूम की तस्वीर सामने आई है।

पूवर्ती गांव पहुंचने के लिए कच्चे रास्ते हैं।
पूवर्ती गांव पहुंचने के लिए कच्चे रास्ते हैं।

पूर्वर्ती में पहले नक्सली अब फोर्स का डेरा

बस्तर में नक्सलियों का यह सबसे मजबूत ठिकाना था। इस गांव में अब फोर्स ने डेरा डाल दिया है। पूवर्ती गांव 5 लेयर के सुरक्षा घेरे में है, जिसमें CRPF, STF, कोबरा, DRG समेत अन्य जवान हैं। पहली बार एक अलग तरह का फोर्स का कैंप बनाया जा रहा है।

हालांकि, सुरक्षा के लिहाज से हम कैंप के बारे में और यहां तैनात जवानों की संख्या नहीं बता सकते। इतना कहा जा सकता है कि, इस पूरे गांव को जवानों ने चारों तरफ से घेर रखा है।

वॉर रूम में नक्सली कमांडर्स के नाम भी लिखे हुए हैं।
वॉर रूम में नक्सली कमांडर्स के नाम भी लिखे हुए हैं।

जरूरत के हिसाब से करवाया काम

वैसे तो इस गांव में नक्सलियों की इजाजत के बगैर कोई भी काम नहीं होते थे, लेकिन नक्सलियों ने दो कामों के लिए खुद ही परमिशन दी। नक्सलियों की सहमति से ही हैंडपंप और ज्यादातर घरों के बाहर सोलर पैनल लगाए गए हैं। जिससे घरों में पानी और बिजली की सुविधा हुई है। इसके अलावा सड़क, पुल-पुलिया समेत बाकी सरकारी योजनाओं को कभी भी गांव में आने की इजाजत नहीं दी।

नक्सल कमांडर हिड़मा का घर जहां बिजली के लिए सोलर पैनल भी लगा है।
नक्सल कमांडर हिड़मा का घर जहां बिजली के लिए सोलर पैनल भी लगा है।

खेती-किसानी और मछली पालन भी करते थे

नक्सली इस गांव में खुद ही खेती किसानी और तालाब में मछली पालन भी किया करते थे। नक्सलियों के खेत और तालाब को अब फोर्स ने अपने कब्जे में ले रखा है। इस गांव में पुलिस कैंप स्थापित होने के बाद नक्सलियों के खेत की पहली तस्वीर भी सामने आई है।

साथ ही गांव में करीब 3 से 4 ट्रैक्टर भी हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि, इन्हीं ट्रैक्टरों के जरिए नक्सली ग्रामीणों की मदद से अपने लिए अनाज उगाते थे।

नक्सलियों का खेत, जिसमें सब्जियां उगाई जा रही हैं।
नक्सलियों का खेत, जिसमें सब्जियां उगाई जा रही हैं।

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