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बालको संयत्र के गेट के बाहर प्रदर्शन कर रहे मजदूर, विभिन्न मुद्दों को लेकर घेरा प्रबंधन को
कोरबा। बालको प्लांट में स्थानीय भर्ती, भारी वाहन के लिए वैकल्पिक मार्ग समेत अन्य मांग को लेकर परसाभाटा विकास समिति के नेतृत्व में स्थानीय लोग शुक्रवार 05 मई से बालको प्रबंधन के खिलाफ आंदोलनरत है।
मजदूरों को हो रही परेशानी देख परसाभाटा विकास समिति ने बदली आंदोलन की रणनीति, एंट्री गेट से हटे पर कोयला गेट रखा गया बंद
कोरबा। बालको प्लांट में स्थानीय भर्ती, भारी वाहन के लिए वैकल्पिक मार्ग समेत अन्य मांग को लेकर परसाभाटा विकास समिति के नेतृत्व में स्थानीय लोग शुक्रवार 05 मई से बालको प्रबंधन के खिलाफ आंदोलनरत है। बालको के सभी गेटो के सामने उनके द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से धरना आंदोलन किया जा रहा था। 3 दिन होने के बाद भी स्थानीय बेरोजगारों की भर्ती से बचने के लिए बालकों का अड़ियल रुख जारी रहा। दूसरी ओर लगातार तीन दिनों तक गेट से प्रवेश नहीं होने पर मेहनतकश मजदूर परेशान हो रहे थे, जो विकास समिति के पदाधिकारियों से जल्द आंदोलन खत्म करने की मांग भी कर रहे थे।
इस संबंध में प्रशासन व पुलिस समिति से चर्चा कर रही थी लेकिन बालको प्रबंधन की ओर से कोई भी सक्षम अधिकारी रविवार की रात तक बात के लिए आगे नहीं आया। ज्यादातर मजदूर स्थानीय है इसलिए उनकी समस्या से समिति व आंदोलनकारी भी वाकिफ है। इसलिए मजदूर भाइयो की दिक्कतें को देखते हुए एवं पुलिस प्रशासन कि समझाईस पर परसाभाटा विकास समिति ने रविवार की देर रात बालको प्लांट में काम मे जाने वाले मजदूरों के लिए उनकी एंट्री वाले सभी गेट के सामने से हटने का फैसला किया। बालको प्रबंधन का अड़ियल रुख को देखते हुए समिति बालको प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन जारी रखे है। जिसके तहत आर्थिक नाकेबंदी करते हुए मालवाहको का प्रवेश ठप रखा गया है। इसके लिए अब कोयला गेट, राखड़ गेट के सामने ही धरना प्रदर्शन जारी है। इससे प्लांट के अंदर कोयला, राखड़ व अन्य सामान परिवहन कर रहे वाहनों का प्रवेश पूरी तरह बंद है। दूसरी ओर सोमवार सुबह से मजदूरों व बालको कर्मचारियों का प्लांट के अंदर आना जाना शुरू हो गया।
मजदूरों के हित में बदली रणनीति, आंदोलन आगे जारी
समिति के विकास डालमिया, शशि चंद्रा, पवन यादव समेत अन्य पदाधिकारियों के मुताबिक उनके द्वारा मजदूरों के हित में आंदोलन की रणनीति बदली गई है, लेकिन आर्थिक नाकेबंदी करते हुए आंदोलन आगे जारी रहेगा। बालकों द्वारा मांग मानने के लिए किसी तरह की पहल नहीं की जा रही है।