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कोरबा में गजब का सेटिंग चल रहा है साहब,,,बिना नम्बर दौड़ रहे ट्रेक्टर-ट्राली, हादसा हुआ तो कैसे पकड़ में आएगा,,, परिवहन विभाग सिर्फ वसूली में मस्त और अवैध कार्य को बढ़ावा दे रहा
हद हो गयी है साहब,,इतना अंधेरनगरी

कोरबा। जिले में बिना पंजीकरण/बिना नम्बर प्लेट के सड़कों पर दौड़ रहे ट्रैक्टर-ट्रालियों पर परिवहन विभाग/ उड़नदस्ता कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। शायद इन्हें मनमानी करने की छूट परिवहन विभाग ने दे रखी है। परिवहन विभाग को चाहिए कि ऐसे टैक्ट्रर मालिकों को चिह्नित कर उन्हें नोटिस भेजे,उन पर कार्रवाई करे किन्तु ऐसा न होने से मनोबल बढ़ा है और बिना नम्बर के ट्रेक्टर-ट्राली की आड़ में रेत आदि खनिज का बोगस पर्ची दिखा कर या गैरकानूनी तरीके से परिवहन किया जा रहा है।

 

 

सरकार को हो रहा राजस्व का नुकसान

विभाग से बिना रजिस्ट्रेशन कराए ही ट्रैक्टर-ट्राली का उपयोग ईंट, बालू, मिट्टी अन्य सामान की ढुलाई के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा है और सड़कों, गलियों में इनकी आवाजाही बहुत बढ़ गई है। कृषि कार्य के लिए विभाग में रजिस्टर्ड ज्यादातर ट्रैक्टर-ट्राली पर मिट्टी-बालू ढोने से लेकर अन्य व्यवसायिक कार्यों में भी इसका उपयोग किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार कृषि कार्य में उपयोग होने वाले ट्रैक्टर ट्राली को टैक्स मुक्त रखा गया है, लेकिन इनके मालिकों द्वारा कृषि कार्य के नाम से पंजीयन कराकर अवैध खनिज उत्खनन और माल ढोने में उपयोग किया जा रहा है। कृषि कार्य के नाम पर लिए जाने वाले ट्रैक्टर-ट्रालियों का उपयोग धड़ल्ले से व्यवसायिक कार्यों में किया जा रहा है। कई लोगों ने ट्रैक्टर का पंजीकरण व्यवसायिक वाहन के रूप में कराया है जबकि ट्राला का पंजीकरण अब तक नहीं कराया है। इस तरह व्यवसायिक उपयोग से रजिस्ट्रेशन की शर्तों की अवहेलना हो रही है, जिसके लिए पूर्ण रूप से परिवहन विभाग जिम्मेदार है।

 

जिले में अधिकांश ट्रैक्टर- ट्रालियों का रजिस्ट्रेशन नहीं होने से सरकार को हर महीने लाखों के राजस्व का नुकसान तो हो रहा है वहीं सवाल यह भी है कि इनसे रेत, मिट्टी व अन्य खनिज की अवैध ढुलाई कैसे हो रही है? बिना नम्बर वाले ट्रेक्टर वाहनों को रॉयल्टी पर्ची कैसे व किस आधार पर जारी की जा रही है? बिना नम्बर वाले रेत वाहन रोके भी नहीं जाते,न इन पर कार्रवाई होती है। इससे यह तो साफ है कि विभागीय छूट और चंद अधिकारी-कर्मियों की अवैध रेत/खनिज परिवहन कार्य में संलिप्तता है। गांव-शहर में अवैध रेत/खनिज ढोने वाले रॉयल्टी पर्ची होने का दावा करते हैं और दिखाते भी हैं लेकिन बिना नम्बर वाले वाहनों का नम्बर कैसे लिखा जाता है? क्या बोगस नम्बर और पर्ची के सहारे यह अवैध काम हो रहा है? आखिर परिवहन विभाग ट्रेक्टर-ट्रालियों की जांच क्यों नहीं करता? अधिकारी सड़क पर उतरते नहीं,उड़नदस्ता एकाध कार्यवाही कर अपने होने का सिर्फ अहसास कराताहै।

 

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