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कोरबा। शहर के सिटी सेंटर में संचालित फ्लोरा मैक्स पिछ्ले कुछ दिनों से सुर्खियों में है। महिलाओं के लोन के नाम पर शुरू होकर कमाई का कारोबार का दंभ भरा जा रहा है। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर अखिलेश सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वयं माना है कि महिलाओं से बतौर ट्रेनिंग 300 रूपए लिए जा रहे हैं। कंपनी से कोरबा और जांजगीर चांपा मिलाकर लगभग 3400 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। साथ प्रति महिला 30 हजार भी बतौर सामान के लिए जा रहें हैं। इस तरह कंपनी का टर्न ओवर लाखों में है। छत्तीसगढ़ में व्यवसाय करने वाली इस कंपनी का पंजीयन भी छत्तीसगढ़ में नहीं है, बल्कि मुंबई से होना बताया गया है। इस तरह करोड़ों की कमाई का इनकम टैक्स जमा हो रहा है या नहीं, जीएसटी के तहत सामान की खरीदी बिक्री हो रही है या नहीं ऐसे कई गंभीर सवाल है। बताया जाता है कि शायद इसी वजह से कंपनी में वारदात की आरोपियों ने सोची होगी। कंपनी के दफ्तर में शुक्रवार दोपहर फर्जी आईटी व सायबर सेल के अधिकारी बनकर बदमाशों ने छापा के बहाने करीब ढाई लाख रुपए, लैपटॉप व सीसीटीवी की हार्ड डिस्क की लूटपाट की थी। कंपनी के तीन कर्मचारियों को पूछताछ के बहाने अपने वाहन में बैठाकर उनका अपहरण कर लिया था। मामले में पुलिस ने वारदात को अंजाम देने वाले 7 आरोपी को गिरफ्तार किया था। लूटपाट करने के मामले में पकड़े गए दिल्ली में काम करने वाले आरोपी ओम आनंद ने कंपनी के कारोबार में गड़बड़ी होने पर योजना बनाकर वहां वारदात करने की बात कही थी। इसके बाद संबंधित फ्लोरा मैक्स कंपनी को लेकर कई तरह की चर्चा होने लगी थी। मंगलवार को कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर अखिलेश सिंह ने इस संबंध में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि कंपनी वैध रूप से 3 साल से संचालित है। इसमें महिलाओं को जोड़कर उन्हें स्वरोजगार उपलब्ध कराकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। 3 हजार से अधिक महिलाएं कंपनी से जुड़ी हैं और उनका आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही जीएसटी समेत अन्य तमाम औपचारिकता पूरी कर कंपनी चलाई जा रही है। किसी तरह की गड़बड़ी नहीं की जा रही है। उन्होंने प्रतिद्वंदी व्यापारियों द्वारा कंपनी के खिलाफ अफवाह फैलाने की बात कही है। वही कुछ कथित पत्रकार की भूमिका भी संदिग्ध है जो इस मामले को दबाने का प्रयास करते नजर आते है। जब तक अच्छा हो रहा है तब तक ठीक है जब अचानक ऐसी कंपनी रातो रात भाग जाए तो उन महिलाओं का क्या होगा जो अपने समूह का रुपये लगा चुकी है। बहरहाल जिलाप्रशासन के बड़े अधिकारियों को चाहिए कि समय रहते फ्लोरा मैक्स के वैध दस्तावेज की जांच की जाय औऱ इनसे जुड़े लोगों की पुलिस वेरिफिकेशन कराई जाए। वही इस मामले को दबाने का प्रयास करने वाले कथित पत्रकार की भूमिका को भी पुलिस अपनी जांच में शामिल करना चाहिए।