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श्री अग्रसेन कन्या महाविद्यालय, कोरबा द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की प्रशासनिक व्यवस्था: वर्तमान संदर्भ में उनकी प्रासंगिकता
राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

कोरबा। श्री अग्रसेन कन्या महाविद्यालय, कोरबा में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की प्रशासनिक व्यवस्था: वर्तमान संदर्भ में उनकी प्रासंगिकता विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य और गौरवमयी आयोजन किया गया। जिसमें देशभर से विद्वान, शोधकर्ता और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े प्रतिष्ठित विशेषज्ञयों ने अपने विचार साझा किये।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन व शुभं करोति कल्याणम के मंत्रोच्चारण के साथ हुई। जिसके पश्चात् महाविद्यालय की छात्राए गायत्री एस, ज्योति, और प्रभजोत द्वारा राज्य गीत की प्रस्तुती दी गई। इसके पूर्व महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार झा ने श्रीफल, शॉल और पुष्पगुच्छ भेंटकर अतिथियों का स्वागत किया, अपने स्वागत भाषण में उन्होंने संगोष्ठी के उद्देश्य और लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के योगदान को उजागर किया।

संगोष्ठी में अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। मुख्य अतिथि की आसंदी से अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री वाजपेयी ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में महाविद्यालय में लगी प्रदर्शनी की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रदर्शनी में अहिल्या बाई की सजीव चित्रण को दर्शाया गया है। सभी विद्यालय एवं महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को ऐसी प्रदर्शनी में सहभागिता निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के युग में हम सभी को अहिल्या बाई का जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर उनके विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत आदिकाल से ही चली आ रही अपने ज्ञान पराम्पराओं में चाहे नदियों की, मंदिरों की, पर्वतों की या संघर्षो की पराम्परा को अपने अंत:करण में समाहित किया है। जिस अखंड भारत की कल्पना की आज हम बात कर रहे हैं उस अखंड राष्ट्र का स्वपन आज से 300 वर्ष पूर्व ही अहिल्या बाई ने देखा था। इतिहास के साहित्यकारों ने मुगलों से हुए युद्धों का वर्णन करते हुए इतना लीन हो गए कि रानी दुर्गावती और अहिल्या बाई जैसे महान शक्सियतों को उपेक्षित कर दिया।

 कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विद्याभारती के प्रांताध्यक्ष जुड़ावन सिंह ठाकुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि माता अहिल्या बाई अनेक विधाओं से निपुण थी, उनकी न्याय की पराम्परा का हम सभी को अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने भारत के चित्रण के विषय में कहा कि आज से 100 साल पहले विदेशी दार्शनिक अलबरूनी ने कहा कि भारत तीन बातों में विश्व के अन्य देशों से भिन्न था। पहला इन्हें मौत से डर नहीं लगता, दूसरा इन्हें अपने ज्ञान के ऊपर बहुत अभिमान, तीसरा ये कभी झूठ नहीं बोलते परन्तु आज के संदर्भ में उक्त बाते कहीं नजर नहीं आती। मौत से नहीं डरने वाले वर्तमान में सभी अपनी सात पीढिय़ों के लिए धन अर्जित करने में लगे हुए हैं और राष्ट्र के लिए त्याग, समर्पण और बलिदान को सदा के लिए भूला दिये हैं। झूठ नहीं बोलने वाले आज अपने परिवार व बच्चों के लिए सच नहीं बोलते सिर्फ झूठ ही बोलते हैं। ज्ञान का अभिमान के विषय पर वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा का पूर्ण रूप से व्यावसायिकरण हो गया और गुरूकुल शिक्षा पद्धति समाप्त हो गई।

प्रांत संचालक डॉ. टोपलाल वर्मा जी ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि अहिल्या बाई एक साधारण पृष्ठभूमि की ग्रामीण बालिका से लेकर एक असाधारण शासक बनने तक की संपूर्ण जीवन यात्रा आज भी हम सभी के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्त्रोत है। वे कर्तव्य, सादगी, धर्म के प्रति प्रतिबंधता, प्रशासनिक कौशल, दूरदर्शिता और शानदार शुद्धता के लिए एक अद्वितीय उदाहरण थी। अहिल्या बाई सामाजिक परिवर्तन, कृषि विकास, जल प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण आदि जनहित कार्यो में कठिन परिस्थितियों के बावजूद तीन दशक तक कुशलता से साम्राज्य चलाया और लोक कल्याणकारी राज्य व्यवस्था को साकार रूप दिया। उन्होंने मुगल शासकों द्वारा उजाड़े गए तीर्थ स्थलों को आबाद किया, पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक 300 से ज्यादा मंदिरों का जीर्णोद्धार एवं पुर्ननिर्माण कार्य कराया।

महाविद्यालय के अध्यक्ष सुनील जैन ने अध्यक्षीय उद्बोधन में महाविद्यालय के विकास की दिशा पर प्रकाश डाला और महाविद्यालय के लिए किये जा रहे कार्य योजनाओं के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी।

कार्यक्रम के अंत में अतिथियों का स्मृति चिन्न भेंट कर आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम के दौरान प्रमुख रूप से जिले के विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित थे, साथ में प्रांत प्रचारक अभयराम, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, महापौर संजूदेवी राजपूत, चंद्रकिशोर श्रीवास्तव, गोपाल अग्रवाल, मनोज शर्मा, गोपाल मोदी, डॉ. विशाल उपाध्याय, किशोर बुटोलिया, मृगेश यादव, महावीर अग्रवाल, पुरूषोत्तम गुप्ता, अखिलेश अग्रवाल, त्रिलोकी बजाज, जयंत अग्रवाल, कैलाश नाहक, राजीव सिंह सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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